राजनीति

                                                          राजनीति
भारत की पूरी व्यवस्था ही राजनीति पे टिकी है !लोकतंत्र मे चुनाव की व्यवस्था है और जब चुनाव होंगे तो राजनीति भी होगी ! सत्ता की नीति ही राजनीती है ! राजनीति कभी असंसदीय नहीं हो सकती !राजनीति और संसद एक दुसरे के पूरक है !तो राजनीति कैसे असंसदीय हो गयी ये तो लोकतंत्र का आधार है ! पर हम आज देखते है कि राजनीति मे लोकतंत्र एक मजाक बनकर रह गया है !हम किसी भी पार्टी को संघटन कि द्रष्टि से मजबूत नहीं कह सकते वो दीमक कि तरह खोखली होती जा रही है !पार्टियों मे लोकतंत्र का बोलबाला न होकर राजतंत्र का बोलबाला है जो उचित नहीं है !राजनेतिक दलों को सुधरने कि सख्त जरुरत है राजनेतिक दलों को सही राह पर लाने के लिए जनता को ही जागरूक होना पड़ेगा और उन्हें सबक सिखाना पड़ेगा मुझे जनता कि समझ पर संदेह होता है कि जनता एसे लोगो को जनप्रतिनिधि बनाकर क्यों भेजती है जिनकी लोकतंत्र मे कोई आस्था नहीं है राजनीति मे अच्छे लोगो को आगे लाने कि जरुरत है जिससे देश के लोगो का भला हो सके !
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