सकारात्मक सोच

            सकारात्मक सोच

हम जैसा सोचते है हम  वेसे ही बनते  जाते है !अच्छी सकारात्मक सोच हमे बिना बाधा के आगे बढ़ाने मैं मदद करती है !और नकारात्मक विचार हमे निराशा की ओर धकेलते है !हम अपनी विफलता के लिए दूसरे लोगो को दोषी ठहराते है !हमारे मन के कोने में दूसरे लोग रहते है ! यह हमारी प्रवृत्ति बन गई है !हम अपनी कमियों को नाजर अंदाज़ करते है !हम अपने दोष को नहीं देखते है !हम सकारात्मक सोच रखे और सबको अपना मन अच्छा व्यवहार करे !जब सकारात्मक पक्ष हावी रहता है तो तेजी से सफलताएँ मिलती है !और नकारात्मक पहलू के हावी रहने पर विफलता निश्चित हो जाती है !ऐसे मैं हम ये कह सकते है कि अगर किसी इन्सान को भाग्यशाली बनना है तो पहले खुद पर विश्वास करना होगा !इसके बाद अपने विश्वास पर अडिग रहना होगा !विश्वास की शक्ति को ब्राजील के लेखक पाल कोएलों ने अपने उपन्यास मैं साबित  किया है उपन्यास के अनुसार  'जिस चीज को तुम पूरी शिद्दत से चाहते हो !पूरी कायनात उसे तुम से मिलाने की कोशिश करती है '  यानि विश्वास के साथ किये गए कम मैं ईश्वरीय  मदद छिपी रहती है !
 हम सकारात्मक सोच रखे और सबको अपना मान  अच्छा व्यव्हार करे !मन में शांति रखे !चिंतन करे !हम सकारात्मक रहेंगे तो समस्याओं का समाधान भी बेहतर ढंग से  निकाल पाएंगे !सकारात्मक सोच रखेंगे तो हर मुश्किल से पार पा   सकेंगे !तनाव रहित रहेंगे लोगो से सम्बन्ध भी मधुर बने रहेंगे ! हमारा आत्म विश्वास बढेगा !दुसरो को भी बेहतर ढंग से समझ पाएंगे और सबको ख़ुशियाँ देंगे !
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