नारी एक बदलती सूरत

                     नारी  एक बदलती सूरत

यह  नववर्ष  हमे नारी को समर्पित करना  होगा ! क्या हम कभी समझ पाएंगे महिलाओ के विराट  अन्तर  को !  पुरुष बच्चो को  श्रेष्ट  जीवन देते है सुख सविधाए देते है  किंतु समय और  धैर्य  नहीं  दे सकते  और  हारी  बीमारी मे  तो संघर्ष का   प्रश्न ही नहीं  उठता  !  त्याग करने के लिए नारी सा जीवट  चाहिए ! हम कब समझ पाएंगे सुख देने और  सेवा करने के  विराट अन्तर  को ! नारी जितनी संवेदनशील होती है उसका कोई  सानी  नहीं है ! नारी  सबके दुःख दर्द को दिल से महसूस  कर उसे दूर करने की कोशिश करती है  ! दुखो को अपने अंदर छिपाने मै  महारत हासिल है  नारी को ! नारी हमेशा से रिश्तो को जीती आई है ! चाहे अपने  जीवित  रहे या ना  रहे !  नव वर्ष में  हमे नारी को उसके त्याग बलिदान  और सेवा  के माध्यम से नए सिरे से  समझने की पहल करनी होगी !  नारी आने वाले कल की एक नई  सम्भावना है  ! नारी  कल भी महान  थी और आज भी  अपने ह्रदय में एक विशालता और अपनत्व का  भाव लिए हुए है ! हमे जरुरत है नारी के मन को समझने की कि वो क्या  चाहती है क्युकि एक स्त्री को भी अपनी बात रखने का पूरा हक़ है उसे भी अपनी मर्जी से जीने का अधिकार है ! आज  हमे नारी को वो हक़ और सम्मान देना ही होगा जिसकी वो हक़दार  है ! पुरुष को उसके प्रति अपनी मानसिकता  में  बदलाव लाना ही होगा ! अगर समाज को सशक्त बनाना है तो महिलाओ को सशक्त  बनाना होगा ! महादेवी वर्मा ने कहा था, '' स्त्री जकड़ी हुई है उसे आजाद होना होगा बन्धनों ओ तोडना होगा ''  !
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