सुरक्षित नहीं बेटिया





आज के माहौल को अगर देखे तो लगता है की हमारी बहन  और बेटिया कहा सुरक्षित रह  गई  है आज  हमे और हमारे समाज को गहराई से इस बात पर चितन करने की जरुरत है ! महिलाओ के प्रति  अपराध  निरंतर  बढ़ते जा रहे है बेटिया  कही सुरक्षित नहीं रह गयी है यहाँ तक की वो खुद अपने घर मैं  भी सुरक्षित नहीं है  !    हम अपने घरों की दीवारों के बीच ख़ुशियाँ खोजने लगे हैं। इसीलिए हमारी गली और मो हल्ले में घटित अपराधों के प्रति हम आँख  और कान बंद कर लेते हैं  आज भले हमारे घर की महिलायें-बेटियां सुरक्षित लग  रही हों-लेकिन कल  हमारे साथ भी गलत हो सकता है  वोट के समय हमारी  यादाश्त घास चरने चली जाती है? तब अच्छे लोग और अच्छी सरकार के सिवा सारी बातें याद आ जाती हैं-फिर पांच साल तक हम नेताओं  गालियाँ देते रहते हैं। इसलिए हमें-आपको-उनको-सभी को नज़रिया तो बदलना ही होगा। दिल्ली  में  हुई  गैंग  रैप  की घटना ने मानवता को शर्मसार करके रख दिया है !  बलात्कार जिस मानसिकता और माहौल की उपज है  उसे बदलने की कोशिश किये बगैर  इस समस्या का समाधान संभव नहीं लगता ! ऐसी वारदातों  को बढ़ावा  देने वाले  माहौल को भी सुधारना होगा !महिला को भोग की  वस्तु नहीं शक्ति   माना जाये  वर्तमान  मैं मीडिया और फ़िल्मो  ने  महिलाओ की छवि को बिगाड़ा है  बाजार ने स्त्री को प्रदर्शन की  वस्तु  बना दिया है !  पुरुषों की सोच  विकृत  हो रही है वो महिलाओ की गरिमा का  ध्यान  नहीं रखते !उनकी सुरक्षा  की ज़िम्मेदारी सरकार और समाज दोनों की है ! समाज को भी जागरूक होने की  जरुरत है कि  वो गलत के विरुद्ध आयाज़ उठाए  ताकि पीडिता के साथ न्याय हो  सके ! पुलिस वालो को देखते है तो लगता है कि वो अपराधियों के दोस्त  अधिक  नजर आते है  !महिला उत्पीडन प्रशासनिक विफलता का ही परिणाम है ! समाज में  नैतिक मूल्यों मैं  गिरावट नजर आ रही है !  ये वही देश है  जहा एक तरफ महिलाओ की पूजा की जाती है दूसरी तरफ भूर्ण हत्या हो रही है और महिलाओ को  दहेज़ के लिए  प्रताड़ितकिया जा रहा है !  लेकिन अब लगता है कि भारत के लोग  अब चुपचाप सब कुछ सहने को तैयार नहीं है ! बुराइयों  के खिलाफ लोगो का  जागृत होना भविष्य के प्रति आश्वस्त करने वाली घटना है   बेटियों   ओर महिलाओ को कब तक ऐसी घटनाओं से रूबरू होना पड़ेगा  !शुरू से ही   छेड़ खानी की घटनाओं को अनदेखा न कर इसे गंभीरता से लेना चाहिए  !नागरिकों को चाहिए की वो कानून की बैसाखी पर निर्भर न होकर ऐसे कृत्यों को  रोकने में अपनी ज़िम्मेदारी समझे और  निभाए !
Previous
Next Post »