सुरक्षित हो आधी आबादी

               

सुरक्षित हो आधी आबादी

                   सुरक्षित हो आधी आबादी

दिल्ली गैंग रैप की घटना के बाद देश का युवा वर्ग बहुत आक्रोशित  है और पीडिता को  हर संभव प्रकार से उचित न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत है !  सभ्य  समाज मानवीय धरातल और लोकतान्त्रिक देश में नारी के साथ यह कृत्य घोर निंदनीय है ! इस घटना ने युवको की कुत्सित मानसिकता का परिचय दिया है ! इस अमानुषिक और घोर निंदनीय  कृत्य के लिए दोषी युवाओ को पारिवारिक एवं सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया जाना चाहिए ! हम सब को मिलकर चिंतन कर बलात्कार की स्थतियो से मुक्त होकर  निकलना होगा ! संसद को जल्दी से एसे कानून बनाने चाहिए जिससे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को कठोर दंड दिया जाये ! हमे भारतीय सभ्यता की गरिमा को बनाये  रखना होगा तभी हमारी देश की महिलाए सुरक्षित रह पाएंगी ! कानून प्रावधानों की बात हो तो जैसे ही रिपोर्ट दर्ज हो और  पुलिस जल्दी ही  इन्वेस्टीगेशन प्राम्भ कर दे !  गंभीर बहस संसद में इस विषय पर होनी चाहिए ! इस तरह   घटना हर बेटी के लिए खतरनाक संकेत है !   शिक्षा के ढाचे मैं बदलाव की जरुरत है ! शिक्षा में संस्कारो को प्रमुखता दी जानी  चाहिए और   महिलाओ को सुरक्षात्मक द्रष्टि से सशक्त बनाये जाने पर ही एसी घटनाओ पर विराम लग पायेगा !   नेता लोग सिर्फ बयानबाजी में लगे रहते है कई महिला मंत्री होने के बाद भी ऐसी घटनाए होती रहती है इससे बेहद निराशा होती है ! महिलाओ से दुष्कर्म के मामले में हम अपने राजनेताओ और वरिष्ट अधिकारियो से एक ऐसी कार्य योजना की अपेक्षा रखते है जो निश्चित समयावधि में निश्चित नतीजे दे सके ! राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड beauro के अनुसार अपराधो की तुलना दुष्कर्म के मामले में आरोप सिद्ध होने की दर काफी कम है !पिछले वर्ष अदालत के समक्ष लाये गए 26.4 मामलो  में आरोपी को सजा सुनाई  गई ! यह विसंगति अस्वाभविक कानून अनुपालन मशीनरी रैप के मामलो को अंजाम तक पहुचाने के ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेती ! विकृत सामाजिक लोकाचार की वजह से दुष्कर्म का ज्यादातर दोष पीड़ित पर डाला  जाता है ! रैप के दर्ज मामलो की संख्या कृत्रिम रूप से कम रहती है ! आंकड़ो के अनुसार पिछले वर्ष रैप के दर्द मामलो की संख्या 33,335 से एक तिहाई कम है ! यह बेहद आश्चर्य जनक है जबकि अमेरिका मैं रैप के दर्ज मामलो की संख्या हत्या के दर्ज मामलो से चार से छे गुना अधिक होती है ! आज नारी ही नहीं समाज का हर तबका उमरी कानून व्यवस्था से असुरक्षा महसूस कर रहा है ! बाजारीकरण ने नारी की प्रतिभा का अनुचित लाभ उठा लिया है  !  जो सही नहीं है  क्या इस भारतीय समाज में सदियों से गहरी जड़ जमाये  पुरुष की गहरी मानसिकता समाप्त हो पायेगी ! समाज कंटको  पर हमे कड़ी चोकसी रखनी होगी और न्यायिक प्रक्रिया को दूरगामी बनाना होगा ! महिला पुलिस की संख्या बढ़नी होगी  ! तब  निश्चित रूप से  महिलाए खुद को सुरक्षित महसूस कर सकेगी !
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