तुम नारी हो



 तुम नारी हो

 अर्धांगिनी  हो  समर्पिता  हो
 संगिनी हो  तेजस्विनी हो  !
 ईश्वर की अनमोल रचना हो तुम
 तुम अनंत दर्पण में
 तुम्हारा आँचल सुखदायी !
 फिर भी तुम क्यू
 अपराधी समझी जाती हो
 तुम्हारी अस्मिता से क्यू खेलता मनुज 
 क्यू तुम पल पल
 तिरस्कार सहती हो
 नारी हो तुम , सशक्त  हो
 देवी हो  ,शक्ति पुंज हो
 माँ पत्नी बहिन बनकर
 रहती सबकी सगी बनकर
 हर आँगन की शोभा नारी 
 फिर क्यू कहे तुम्हे अबला , नारी तूने
 तूने ही अंगीकृत किया इस संसार को
 फिर कैसा अंकुश तेरे ही निर्माण को







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