राजनीति


राजनीति

आम आदमी को आज मेंगो पीपल कहा जाने  है !आम आदमी को याद  तो किया जाता है लेकिन जब चुनाव आते है तब नेता आम आदमी को महत्व देते है !क्युकि उनको  दिलाएगा तो आम आदमी ही ! आम लोग बिना किसी सकारात्मक संवाद के एकतरफा भाषण सुनते है !भारतीय लोकतंत्र का नेतृत्व  जब तक हमारे प्रतिनिधि आचरण में कोई आदर्श  पेश नहीं कर पाते है तब तक व्यवस्था के प्रति कमजोर होते लोगो के भरोसे को मजबूती प्रदान नहीं करी जा सकती ! आजकल विदेशो में रह रहे भारतीय भारत मैं मतदान अधिकार चाह रहे है !इसमें कोई शक नहीं कि अगर उन्हें मतदान का अधिकार मिले तो न केवल भारत में चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकेंगे बल्कि एक प्रभावी आवाज भी बन सकेंगे ! भारतीय लोकतंत्र में लोग नेताओ को शासको की तरह चुनते है क्युकि हमारे राजनितिक दलों के अंदर भी एक जिम्मेदाराना ओहदे के लिए बेहतर आदमी चुनने की अच्छी प्रक्रिया का अभाव है! कई बार भावनाओ में बहकर भी चुनाव कर लिया जाता है मसलन किसी नेता की विधवा या  बेटा  या किसी की पुत्र वधु बेटी या दामाद ऐसे लोग राजनीती मे है ! राजनीति में पैसे का इस्तेमाल वोट खरीदने के लिए होता है ! भारत में लाखो लोग अभी लोकतंत्र की ताकत को पहचान  नहीं रहे है जबकि उन्हें रोज की जिन्दगी में लाखो मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ! आज भी हमारे बीच  पुरानी राजशाही कायम है !हमारे यहाँ कई ऐसे परिवार है जहा बेटे अपने पिता के कदमो पे चल रहे है ! भारत में ही नहीं विदेशो मैं भी ऐसा है ! यहाँ तो हाई कमान ही सब कुछ है जो जीतने की क्षमता या निष्ठां तय करता है ! पार्टियो में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है ! अलोकतांत्रिक रव्वैये पर कोई सवाल नहीं उठाता है !इस तरह की विरासत में मिली हुई राजनीति आगे बढती रहती है ! किसी नेता के पांच साल तक राजनीती में रहने के बाद अपने आप ही नया वंशवाद निर्मित होने लगता है !भारतीय राजनीति के लिए सबसे बड़ा नुक्सान इसमें धनबल का उपयोग हो रहा है ! एक उम्मेदवार के लिए अपनी सम्पति की घोषणा महेज एक रीति निभाने जैसा है ! राजनीती का उद्दश्य अब लोगो का भला करना नहीं रह गया वरन पैसा बनाना रह गया है ! नेता लोग  स्वार्थ के चलते नेतिक मूल्यों से विमुख होते जा रहे है और जनता का भरोसा खोते जा रहे है !
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