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रक्षा बंधन  पर्व


भारत में अगर हिंदू धर्म की कोई सबसे बड़ी पहचान है तो वह हैं इसके त्यौहार. और सिर्फ हिंदू ही क्यूं भारत में तो हर जाति और धर्म के त्यौहारों का अनूठा संगम देखने को मिलता है. हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है राखी या .रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है. राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है. यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है  !
। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण के महीने में पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन पर होता है । यह पूरे भारत भर में मनाया जाता है। 'रक्षा' मतलब सुरक्षा 'और' बंधन ' का बाध्य है। इस प्रकार 'रक्षा बंधन' का अर्थ 'संरक्षण के बंध'  है । इस दिन बहनों के स्नेह का एक चिह्न के रूप में अपने भाइयों की कलाई पर एक विशेष पट्टा या धागा जिसे 'राखी' कहा जाता है। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए एक आजीवन व्रत लेता है। रक्षा बंधन के दिन, भाइयों और बहनों के स्नेह का उनके पवित्र बंधन की पुष्टि होती है। - हमारे प्राचीन त्योहारों का कोई न कोई आधार होता है | कुछ नयी कथाएं भी उनके साथ जुड़ जाती हैं | रक्षा की अपेक्षा वाले इस त्यौहार के पीछे भी भगवान शंकर को राखी बाँधने की कथा आती है | जब राखी का यह सूत्र बहिन अपने भाई की कलाई पर बांधती है तब हमारे पंडितों के अनुसार एक मंत्र पढ़ा जाता है | वह इस प्रकार से है :       
  येन बद्धो बली राजा  दानवेन्द्रो महाबलः |  तेन त्वां प्रतिबद्धनामी रक्षे माचल माचल ||
अर्थात रक्षा के जिस सूत्र से महाबली राक्षसराज बली को बाँधा गया था, उसी धागे से मैं तुम्हें बांधती हूँ ; यह रक्षा में अचल रहे, अचल रहे | इस प्रकार इस त्यौहार से राजा बली की कथा भी जुडी हुई है | जो समस्त पृथ्वी के राजा थे व राक्षसराज थे |
  | मंत्र देवताओं व ईश्वर के लिए ही होते हैं | मंत्र का अर्थ है कि आप जिस समय भी मंत्र से देव या ईश्वर का ध्यान कर रहे हैं, वे देव उसी समय आपकी अर्चना को सुन रहे हैं |  |गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने राखी के पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया. उनका मानना था कि राखी केवल भाई-बहन के संबंधों का पर्व नहीं बल्कि यह इंसानियत का पर्व हैकहते हैं, सिकंदर की पत्‍‌नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांध कर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था. पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था.
  यह त्यौहार इस भावना से मनाया जाता है कि राखी बांधते  हुए बहिन अपने भाई से अपनी  रक्षा की अपेक्षा करती है |
 | फिर भी  रक्षा बंधन का यह त्यौहार भाई और बहिन के बीच  स्नेह का बंधन है जो हर वर्ष आकर स्नेह की एक और गाँठ बाँध कर उसे और प्रबल कर देता है || इस त्यौहार में राखी बांधते  हुए स्नेह का   भाव भाव   मुख्य होता है |  ये  त्यौहार भाई बहिन के स्नेह  का  प्रतीक  हैं !
रक्षाबंधन के अवसर पर कुछ विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं जैसे घेवर, शकरपारे, नमकपारेऔर घुघनी। घेवर सावन का विशेष मिष्ठान्न है   !रिश्तों से ऊपर उठकर रक्षाबंधन की भावना ने हर समय और जरूरत पर अपना रूप बदला है. जब जैसी जरूरत रही वैसा अस्तित्व उसने अपना बनाया. जरूरत होने पर हिंदू स्त्री ने मुसलमान भाई की कलाई पर इसे बांधा तो सीमा पर हर स्त्री ने सैनिकों को राखी बांध कर उन्हें भाई बनाया. राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है. इस नजरिये से देखें तो एक अर्थ में यह हमाराराष्ट्रीय पर्व बन गया है
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