बचाना होगा लोकतंत्र को
पिछले दो दशको में भारत का आर्थिक उदय हुआ हैं ये सही बात हैं ! लेकिन आज भी आम आदमी के मन मे
निराशा हैं कि सरकार शिक्षा स्वास्थ्य और पानी व क़ानूनी व्यवस्था जैसी आधारभूत सेवाए जनता को क्यू नहीं दे पा रही हैं ! लोगो का हमारी शासन प्रणाली से विश्वास उठाना स्वाभाविक हैं ! यदि हमारा लोकतंत्र गलत दिशा मे जा रहा है तो उसे सही दिशा देने का दायित्व किसका है ! जिन लोगो को मतदाताओ ने अपना प्रतिनिधि चुना है वही लोकतंत्र का गला घोटेंगे तो लोगो का भरोसा टूट जायेगा !जनप्रतीधियो पर निगरानी नहीं रखने की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उनकी मनमानी बढती जा रही है और जनप्रतिनिधि जनता के हितों की अनदेखी कर रहे है जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है !लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरुरी है की हम अच्छा और ईमानदार प्रतिनिधि चुने ! यदि अच्छा प्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता है तो उसे स्थान पर नया प्रतिनिधि चुनने की व्यवस्था ज़रुरी है ! आज देश में योग्य और ईमानदार अधिकारी , अच्छे स्कूल और प्राथमिक स्वास्थ्य शिक्षा केन्द्रों का अभाव हैं अगर इन पर धयान दिया जायेगा तो हमारा भारत देश विकास और खुशहाल भारत की और लौट सकता हैं ! गरीब और आम लोगो को न्याय भी जल्दी मिलना चाहिए ताकि देश की न्याय प्रणाली पर लोगो का भरोसा कायम रह सके ! राजनेतिक दलों में जनहित की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए ! सरकार को लोगो के प्रति जवाबदेह होना होगा ! कानून का पारदर्शी होना बेहद जरुरी हैं ! नौकरशाही , न्यायपालिका और पुलिस व्यवस्था में सुधार लाना होगा और सुधार के लिए धेर्य और संकल्प के साथ लगातार प्रयास करने की जरुरत हैं ! हमारे देश को एक ताकतवर नेता चाहिए ! आज हमारी उम्मीद तो युवाओ पर टिकी हैं यह युवा वर्ग शासन प्रणाली से निराश हैं और देश और समाज में बदलाव लाने का इच्छुक हैं ! आज हम देखते हैं कि राजनेतिक दल किस तरह से वोटो के लिए लोगो को लालच देते हैं ! जनता को लोक लुभावनी योजनाओ से प्रभावित किया जा रहा हैं ! आम नागरिको को मानसिक रूप से पंगु और आश्रित बनाया जा रहा हैं ! ये उचित नहीं हैं ! युवा नागरिक एसा नहीं चाहते वे ईमानदार लोगो को चाहते हैं वे ऐसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं जिसकी छवि बेदाग़ हो ! ह मारे देश के युवा चाहते हैं कि जिस तरश से हमे धार्मिक और आर्थिक आज़ादी प्राप्त हुई हैं उसी तरह से हम अपनी आर्थिक आज़ादी को प्राप्त करें ! आज हमे महसूस होता हैं कि स्वतंत्र भारत के नेता संविधान के उदार मूल्यों को बढ़ाने में असफल रहे हैं ! आज संविधान के आदर्शो को युवाओ तक पहुचाकर संविधान को नेतिक आईने का रूप देना बहुत जरुरी हैं ! आज हमारे देश को आजाद हुए 66 वर्ष हो गए लेकिन सही मायने में हम आज़ाद कहा हुए ? राजनीति का अपराधीकरण हो गया आज संसद में अपराधी ज्यादा हैं ! आज कल अपराधी लोगो को राजनीति में ज्यादा प्रमुखता दी जाती हैं ! लेकिन राजनीति में अब भ्रष्टाचार और वंशवाद को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ! अभी दुर्गा शक्ति नागपाल प्रकरण ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि ईमानदारी से काम करने वाले का क्या अंजाम होता हैं ! क्या नेताओ का नेतिक स्तर इतना गिर गया हैं कि वो ईमानदार अधिकारियो को मनमाने तरीके से दण्डित करते हैं ! इन अधिकारियो से ही हम सीखते हैं कि अच्छे स्त्री पुरुष राजनीति में आये और राजनीति कों नैतिक आकार दे ! अगले चुनावो में विजेता इसी बात से तय होगा कि भविष्य के लिए कौन बेहतर सपना पेश करता हैं !
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