मंजिले अब दूर नहीं

मंजिले  अब दूर नहीं


जिंदगी  हैं आगे बढ़ने के लिए
मंजिलो को पाने के लिए !
न थकने के लिए
न रुकने के लिए ,
लोग बदलेंगे
बदलना हैं मुझको ,
लडती हू अपने आप से ,
निरंतर  क्युकि मुझे
पाना हैं मंजिलो को !
भरनी हैं ऊँची उडान नई
ख्वाहिशे  लिए मन ,
चल पड़ा हैं नई डगर पर
क्युकि अब मेरे साथ चल रहे
चाँद और सूरज ,तारे
नभ   बादल,  और पंछी
चल रही मेरे साथ ये जमी
साथ मेरे आशा और उम्मीदे   
प्रकृति छेड़ रही नया राग
नया साज और सुर लिए
हर  जगह दिखाई दे रहा
मन को आनंद से भरने वाला
अद्भुत नजारा !
मैं अब नहीं थकने वाली
क्युकि मंजिले  अब दूर नहीं !
                                                 





Previous
Next Post »