rakshabandhan parv...



 राखी या .रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है. राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है. यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है  ! इस प्रकार 'रक्षा बंधन' का अर्थ 'संरक्षण के बंध'  है |गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने राखी के पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया. उनका मानना था कि राखी केवल भाई-बहन के संबंधों का पर्व नहीं बल्कि यह इंसानियत का पर्व हैकहते हैं,  आज  के तकनीकी युग  में  ये  पर्व भी  प्रभावित हुए   हैं  अब  घर से  दूर होकर  भी  ये  ये  त्यौहार नहीं अखरेंगे  !  तकनीकी  युग के  कारण  रिश्तों  में  अब भी  आत्मीयता और संवेदना बरकरार हैं ! दूर  रहकर भी भाई बहिन राखी का पर्व मनाते हैं  !  रीतिरिवाज बदल गए पर भावनाए  अब भी पवित्र हैं दूर रहकर भी स्नेह बना हुआ हैं ! रिश्तो में दुरी नजर नहीं आती !   बहिन   भाई के संपर्क में  रह सकती हैं   सिकंदर की पत्‍‌नी अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांध कर उसे  या था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था. पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था.इस त्यौहार में राखी बांधते  हुए स्नेह का   भाव  मुख्य होता है |  ये  त्यौहार भाई बहिन के स्नेह  का  प्रतीक  हैं !!रिश्तों से ऊपर उठकर रक्षाबंधनके  की भावना ने हर समय और जरूरत पर अपना रूप बदला है. जब जैसी जरूरत रही वैसा अस्तित्व उसने अपना बनाया. जरूरत होने पर हिंदू स्त्री ने मुसलमान भाई की कलाई पर इसे बांधा तो सीमा पर हर स्त्री ने सैनकों को राखी बांध कर उन्हें भाई बनाया. राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है. इस नजरिये से देखें तो एक अर्थ में यह हमाराराष्ट्रीय पर्व बन गया है



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