कुछ तो कहो तुम


कुछ तो कहो तुम


मैं   लिख  रही  हू 
तुम्हारे  लिए कुछ  शब्द  ,
जो निकल  रहे अनायास  मेरे  हृदय  से
 प्यारी बाते  ,  वो तेरे मेरे  जज्बात
नहीं भूल पाई  मैं  कुछ भी।
वो खिलखिलाना , शर्माना
तुम्हे चुपके से देखना,
मन मेरा तरंगित हो जाता
याद आते जब मुझे वो पल
वो तुम्हारा स्पर्श ,
तुम मेरे दिल में  हो
मेरे रहोगे  ,.ये  महसूस कर रही हु  मैं   !
पहली छुअन के बाद  जो महसूस हुआ
वो  साँसों का रुकना  और चलना
सब लिख रही हु तुम्हे
वो घबराहट अब तक नहीं भूल पाई
मगर क्या ये सब तुम्हे भी याद हैं
तुम भी कभी कुछ शब्द  मेरे लिए लिखो
मन से बंधी हू  मैं  तुम्हारे साथ ,
साँसों की  डोर हैं या  दिल का रिश्ता
कुछ तो  कहो तुम ,
क्या हो तुम मेरे  !



Previous
Next Post »