हमने ये कैसा समाज समाज बनाया हैं ?
हम किस समाज में रह हैं जहा नारी के प्रति कोई सम्मान शेष नहीं रह गया ! महिलाओ पर अत्याचार और अन्याय की घटनाओ ने समाज को आंदोलित कर रखा हैं ये घटनाए संकेत देती हैं कि शहरी समाज की भीतरी परतो में बहुत कुछ हो रहा हैं
आज हालत ये हो गई हैं कि कार्य स्थलो पर महिलाओ के खिलाफ दुर्व्यवहार का सिलसिला जारी हैं ! चेलेंजे फॉर वीमेन इन मॉडर्न इंडिया नमक अध्ययन यह इंगित करता हैं कि देश में भले ही महिला सशक्तिकरण की बाते खूब होती हो लेकिन आज भी 29 प्रतिशत महिलाए शारीरिक शोषण का शिकार हो रही हैं !एक अध्ययन के मुताबिक 55 प्रतिशत कामकाजी महिलाए हैं जिनके साथ कार्य स्थल पर भेदभाव किया जाता हैं !! यह बड़े दुःख कि बात हैं कि आज देश में बाबा , पत्रकार और जज जैसे लोग यौन उत्पीड़न के आरोपो के घेरे में हैं ! एक आम आदमी की तुलना में न्यायधीश , राजनेता , पत्रकार और आध्यात्मिक गुरुओ की जिम्मेदारी और बढ़ जाती हैं ! यदि मुल्क के श्रेष्ट वर्ग की नैतिकता ही खतरे में होगी तो आम आदमी के लिए यह तय कर पाना मुश्किल होगा कि क्या सही हैं और क्या गलत ! विगत दिनों रिटायर्ड जज और पत्रकार तरुण तेजपाल पर महिला से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा हैं जो बेहद शर्मनाक हैं ! विमेंस एक्शन ग्रुप के एक सर्वे के अनुसार यह तथय उजागर हुआ हैं कि लगभग 45 प्रतिशत महिलाओ को उनके कार्य स्थल पर मौखिक मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता हैं ! कार्य स्थलो पर महिलाओ के आत्म सम्मान को बहुत ठेस पहुचाई जाने लगी हैं ! यह बड़े दुःख कि बात हैं कि महिला कि सुरक्षा को सुनिश्चित करने और कार्य स्थलो पर नारी सुरक्षा कि बात करने वाले मीडिया पर ही यौन उत्पीड़न का आरोप लगा हैं ! तेजपाल एक प्रतिष्ठित संपादक हैं वो खुद महिलाओ के खिलाफ अपराधो को गम्भीरता से लेते हैं लेकिन तेजपाल ऎसा कृत्य करेंगे उनसे ये अपेक्षा नहीं थी ! यह तो पीड़िता के साहस की दाद देनी पड़ेगी कि वो उनके खिलाफ सामने आई और आत्म सम्मान उसके लिए सबसे अहम रहा ! यह सच हैं कि मीडिया ने भी अपने पेशे से संबांधित मामले को दबाने कि कोशिश नहीं की और कानून के मुताबिक सख्त कारवाई की मांग की ! आज यह जरुरी हैं कि कोई भी दुश्चरिरत्र आदमी इसलिए बच कर नहीं निकलना चाहिए कि उसने संत या जज का चोला पहन रखा हैं या पत्रकार का नकाब ओढ़ रखा हैं जब यह आरोप देश के पूर्व न्यायाधीश पर लगता हैं तो सवाल समूची न्याय प्रक्रिया पर खड़ा होता हैं ! बहुत पैसा बहुत ताकत चीज़ो को संचालित कर रही हैं ! इस खेल में स्त्रियाँ भी उसी तरह सलंग्न हैं जिस तरह पुरुष ! इसमें वो लड़किया पीछे रह जाती हैं जो परिश्रमी स्वाभिमानी और भीतर से नैतिक रूप से मजबूत हैं ! महिला पुरुष समता मूलक समाज का निर्माण ही इसका समाधान हैं ! हमारी शिक्षा , आचरण में परिवार के ढांचे में जिसमे महिला पुरुष दोनों आते हैं गहरे बदलाव करने होंगे ! हम सजग क्यों नहीं हैं आत्म निरिक्षण की कमी हैं ! समाधान सिर्फ यही हैं कि महिला पुरुष समता वाले सामाजिक ढांचे का निर्माण इस इस समाज में सिर्फ अधिकार ही नहीं कर्तवव्यो की भी समानता होनी चाहिए !
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