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Sunday 15 December 2013

लिव इन रिलेशनशिप



लिव   इन  रिलेशनशिप

लिव  इन रिलेशन  शिप  को अपराध और पाप  की  श्रेणी  से  बाहर निकालकर  सर्वोच्च न्यायालय  ने  जहा महत्व पूर्ण पहल की  हैं  वही इसे घरेलु हिंसा कानून के तहत  मान्यता देकर सहजीवन  में  रहने वाली महिलाओ के  वजूद को भी  मजबूती दी हैं  !     लिव  इन   रिलेशन शिप    को कानूनी रूप  से  अपराध या   पाप मानने   की  सोच पर विराम लग गया   !  उम्मीद जगी हैं कि    भविष्य़  में  शादी  के  समानंतर  सहजीवन की  परंपरा को  मजबूती मिलेगी लेकिन   इसके   भविष्य़  पर  आखरी मोहर समाज को   लगानी   हैं ! जहा राह में  रोड़े ही रोड़े बिछे हुए नज़र आ रहे  हैं !  इस फैसले के बाद चोरी  छिपे रहनेवाले     जोड़ो को समाज में  घोषित  तौर पर रहने में  आसानी होगी  ! जिसका सबसे बड़ा फायदा महिलाओ को होगा साथ  ही पैदा   हुए बच्चे को     अधिकार     मिलने  में  आसानी होगी !   स स्त्रियाँ  समाज परिवार    दोस्तों  और रिश्तेदारो  को बता सकेगी  और समाज    के सामने अपने आपको अकेला  और बिखरा  हुआ महसूस  नहीं करेगी  ! भारतीय समाज में  रिश्तो में  बेईमानी बहुत हैं   इसलिए सहजीवन को संस्थाबद्ध किया जाना चाहिए !   रिश्ते सिर्फ चाहत से नहीं बनते  बल्कि   जिम्मेदारी भी उनके साथ लगी होती हैं !

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