लिव इन रिलेशनशिप
लिव इन रिलेशन शिप को अपराध और पाप की श्रेणी से बाहर निकालकर सर्वोच्च न्यायालय ने जहा महत्व पूर्ण पहल की हैं वही इसे घरेलु हिंसा कानून के तहत मान्यता देकर सहजीवन में रहने वाली महिलाओ के वजूद को भी मजबूती दी हैं ! लिव इन रिलेशन शिप को कानूनी रूप से अपराध या पाप मानने की सोच पर विराम लग गया ! उम्मीद जगी हैं कि भविष्य़ में शादी के समानंतर सहजीवन की परंपरा को मजबूती मिलेगी लेकिन इसके भविष्य़ पर आखरी मोहर समाज को लगानी हैं ! जहा राह में रोड़े ही रोड़े बिछे हुए नज़र आ रहे हैं ! इस फैसले के बाद चोरी छिपे रहनेवाले जोड़ो को समाज में घोषित तौर पर रहने में आसानी होगी ! जिसका सबसे बड़ा फायदा महिलाओ को होगा साथ ही पैदा हुए बच्चे को अधिकार मिलने में आसानी होगी ! स स्त्रियाँ समाज परिवार दोस्तों और रिश्तेदारो को बता सकेगी और समाज के सामने अपने आपको अकेला और बिखरा हुआ महसूस नहीं करेगी ! भारतीय समाज में रिश्तो में बेईमानी बहुत हैं इसलिए सहजीवन को संस्थाबद्ध किया जाना चाहिए ! रिश्ते सिर्फ चाहत से नहीं बनते बल्कि जिम्मेदारी भी उनके साथ लगी होती हैं !
No comments:
Post a Comment