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Friday 11 April 2014

कहानी


                                                      सुबह  सुबह



  चुप रहती तो  अच्छा होता आज  सारी  गलती   मेरी ही थी जो  पति से   सवेरे से उलझ  गई कुछ नहीं बच्चो को लेकर कहासुनी हो गई ! सवेरे इतना  काम होता   हैं कि कुछ भी नहीं सूझता और पति देव पर गुस्सा हो गई !शायद  मैंने   उन्हें आहत  कर दिया था !  मेरे लिए  शायद ये बहुत   बड़ी  बात  थी  !  सुबह की  ही तो बात हैं जब मैं बच्चो को स्कूल के लिए  तैयार कर रही थी !और पति देव भी मेरी  सहायता कर रहे थे  !  खाना  बना रही थी बच्चो के लिए  मैं  और    पति देव  घर की दूसरी परेशानिया  लेकर बैठ  गए  मेरा भी पारा सातवे  आसमान पर जा पंहुचा  और  हो गया झगड़ा  और बच्चो  के  लिए  जो  पराठे बना रही थी जल   गए ! पतिदेव तो और भी गुस्सा हो गए  और मुझ  पर बुरी तरह  चिल्लाने लगे ! इतना ज्यादा तो वो कभी भी विचलित  नहीं   हुए  ! उन्होंने   मुझसे  कहा  आजकल तुम  बहुत  जवाब  देने लगी  हो  ?  तुम्हारा न  बच्चो की तरफ  ध्यान हैं   घर की  तरफ  !   उनके इतना कहने के बाद मैं वापस से  अपने काम मैं  लग गई  लेकिन मन  में  बहुत विचार आने लगे और सोचने लगी कि  मैंने अपनी कौनसी  जिम्मेदार नहीं  निभाई  जो आज पति देव ने मुझ पर   ताना  मारा !  एक औरत घर  के लिए चाहे  कितना भी कर ले  लेकिन उसको  कभी बदले में  यश नहीं   मिलता !  लेकिन जरा सी  बात पर  कितनी  कहा सुनी  हो गयी शायद गलती मेरी भी थी जो  मैंने उन्हें जवाब दिया  आखिर मेरी और बच्चो की कितनी फ़िक्र  हैं उन्हें अपने परिवार के लोगो की कितनी परवाह  करते हैं वो !   लेकिन  मैं ही  उन पर बरस पड़ी  ! मेरी ही  गलती   थी  !  शाम को  पतिदेव   घर आये  और उदास होकर बोले  मैंने    तुम्हारा  दिल   दुखाया  मुझे  माफ़ कर  दो  तुम्हारा दिल  दुखाने  का मेरा कोई इरादा नहीं था  अचानक मुह से   ये सब   निकल गया  !  तुमने हमेशा   घर के लिए सब  कुछ किया   हैं  पति बोले   !    उन्होंने कहा बच्चो  को   लेकर जो  झगडे हुए उसमे  हमेशा  से  प्यार  नज़र  आया घर  के   लिए  !   मेरे मन में   ख्याल  आया किंतना अच्छा सोचते हैं  पतिदेव्  हमारे बारे   में  !   मैं  तो  बेकार में  उनसे नाराज   हो गई !        मैंने    सोचा   सच  घर के ये छोटे  मोटे  झगडे भी   पति पत्नी  के संबंधो   में   मिठास  घोल देते हैं !  
   

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